Ekadashi vrat katha निरजला एकादशी व्रत कथा Nirjala Ekadashi vrat katha
निरजला एकादशी व्रत (Ekadashi vrat katha) हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और वर्षभर में पड़ने वाली सभी एकादशियों में इसका विशेष महत्व है। “निरजला” का अर्थ है “बिना जल के”, अतः इस व्रत में जल का सेवन भी वर्जित है। इस कठोर व्रत को करने से वर्ष भर की सभी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है। निरजला एकादशी व्रत कथा ( Ekadashi vrat katha) के माध्यम से भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। इस व्रत का पालन श्रद्धा और भक्तिपूर्वक करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Table of Contents
ToggleEkadashi vrat katha कथा का सारांश:
• भीमसेन की समस्या:
पांडवों में से भीमसेन को अत्यधिक भूख लगती थी, जिससे उन्हें सभी एकादशी व्रत (Ekadashi vrat katha) रखना कठिन लगता था।
• मां कुंती और युधिष्ठिर की चिंता:
भीमसेन की समस्या जानकर मां कुंती और युधिष्ठिर ने उन्हें व्रत करने का महत्व समझाया, लेकिन भीमसेन को भूखे रहने में कठिनाई थी।
• महर्षि व्यास का सुझाव:
भीमसेन ने महर्षि व्यास से परामर्श लिया। महर्षि व्यास ने उन्हें निरजला एकादशी का व्रत (Ekadashi vrat katha) करने की सलाह दी, जिसमें एक दिन बिना भोजन और जल के रहना होता है।
• निरजला व्रत की कठिनाई:
महर्षि व्यास ने भीमसेन को बताया कि इस व्रत को करने से उन्हें वर्षभर की सभी एकादशियों का पुण्य मिलेगा। भीमसेन ने इस कठिन व्रत को स्वीकार किया।
• भीमसेन का तप:
भीमसेन ने पूरे दिन बिना जल और भोजन के रहकर निरजला एकादशी का व्रत किया। उनकी भक्ति और तपस्या से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए।
• भगवान विष्णु की कृपा
भगवान विष्णु ने भीमसेन को आशीर्वाद दिया कि इस व्रत को करने से उन्हें सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होगा।
• व्रत का प्रसार:
भीमसेन की कथा सुनकर अन्य लोगों ने भी इस व्रत को करना शुरू किया। इस प्रकार, निरजला एकादशी व्रत का महत्व पूरे समाज में फैल गया।
व्रत का महत्व:
- पुण्य प्राप्ति: इस व्रत को करने से वर्षभर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।
- पापों का नाश: यह व्रत जीवन के सभी पापों का नाश करता है और आत्मा की शुद्धि होती है।
- सुख-समृद्धि: भगवान विष्णु की कृपा से व्रती के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
- मोक्ष प्राप्ति: इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद वैकुंठ धाम की यात्रा होती है।
निरजला एकादशी व्रत की कथा (Ekadashi vrat katha) और विधि का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। भगवान विष्णु की आराधना और इस व्रत के पालन से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
निरजला एकादशी व्रत: (Nirjala Ekadashi vrat katha) करने योग्य और निषेध कार्य
निरजला एकादशी व्रत (Ekadashi vrat katha) हिन्दू धर्म में विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत के कठोर नियमों का पालन किया जाता है। इस व्रत को करने से वर्षभर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। व्रत के दिन कुछ विशेष कार्यों का पालन करना आवश्यक होता है और कुछ कार्यों से बचना चाहिए।
Nirjala Ekadashi vrat katha मे करने योग्य कार्य (Do's):
- प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठना:
- व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शुद्धता और स्वच्छता:
- मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें। पूजा स्थल और घर को स्वच्छ रखें।
- भगवान विष्णु की पूजा:
- भगवान विष्णु की पूजा के लिए तुलसी दल, फल, फूल, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य आदि सामग्री तैयार करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- व्रत कथा का श्रवण:
- निरजला एकादशी व्रत कथा (Ekadashi vrat katha) का श्रवण करें और परिवार के साथ मिलकर कथा सुनें।
- भजन-कीर्तन:
- दिनभर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और रात्रि में जागरण करें।
- दान-पुण्य:
- जरूरतमंदों को दान-पुण्य करें और सेवा कार्यों में हिस्सा लें। इससे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- सात्विक आचरण:
- सात्विक आचरण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। मानसिक शांति और सकारात्मक सोच बनाए रखें।
Nirjala Ekadashi vrat katha मे निषेध कार्य (Don'ts):
- जल का सेवन न करें:
- इस व्रत के दौरान जल का सेवन वर्जित है। पूरे दिन निराहार और निर्जल रहें।
- क्रोध और वाद-विवाद से बचें:
- क्रोध न करें और वाद-विवाद से बचें। शांत और संयमित रहें।
- झूठ और छल से बचें:
- झूठ बोलने और छल-कपट से दूर रहें। सत्य का पालन करें।
- अहिंसा का पालन करें:
- किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहें। मन, वचन और कर्म से किसी को कष्ट न पहुंचाएं।
- तामसिक और रजसिक भोजन का सेवन न करें:
- तामसिक और रजसिक भोजन का सेवन न करें। सात्विक और पवित्र भोजन ही ग्रहण करें।
- नकारात्मक विचारों से दूर रहें:
- नकारात्मक विचारों से बचें और सकारात्मक सोच बनाए रखें। भगवान विष्णु का ध्यान और मंत्र जाप करें।
- भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग:
- व्रत के दिन भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग करें और साधारण जीवन जीएं।
निरजला एकादशी व्रत (Ekadashi vrat katha ) का पालन करने से व्यक्ति को अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। यह व्रत आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है। अतः श्रद्धा और भक्तिपूर्वक इस व्रत का पालन करना चाहिए।
Nirjala Ekadashi vrat katha का सामान्य प्रश्न (FAQs of Nirjala Ekadashi vrat katha ):
- निरजला एकादशी व्रत (Ekadashi vrat katha) का महत्व क्या है?
- यह व्रत करने से वर्षभर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।
- निरजला एकादशी (Ekadashi vrat katha) किस माह में आती है?
- यह ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है।
- क्या निरजला एकादशी व्रत में जल का सेवन कर सकते हैं?
- नहीं, इस व्रत में जल का सेवन वर्जित है।
- निरजला एकादशी व्रत का पालन कौन कर सकता है?
- कोई भी व्यक्ति, चाहे महिला हो या पुरुष, इस व्रत का पालन कर सकता है।
- व्रत के दिन क्या-क्या करना चाहिए?
- भगवान विष्णु की पूजा, व्रत कथा का श्रवण, भजन-कीर्तन और दान-पुण्य करना चाहिए।
- व्रत के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
- जल का सेवन, तामसिक भोजन, क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए।
- क्या निरजला एकादशी व्रत से पापों का नाश होता है?
- हां, यह व्रत सभी पापों का नाश करता है और आत्मा की शुद्धि होती है।
- व्रत का पालन कैसे करें?
- प्रातःकाल उठकर स्नान करें, भगवान विष्णु की पूजा करें, निर्जल और निराहार रहें, भजन-कीर्तन करें और दान-पुण्य करें।
- क्या व्रत के दौरान रात्रि में जागरण करना आवश्यक है?
- हां, रात्रि में जागरण करना और भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है।
- क्या व्रत के दिन परिवार के साथ कथा सुननी चाहिए?
- हां, व्रत कथा का श्रवण परिवार के साथ करना चाहिए जिससे सभी को पुण्य प्राप्त हो।
निरजला एकादशी व्रत (Ekadashi vrat katha) का पालन श्रद्धा और भक्तिपूर्वक करने से व्यक्ति को अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। यह व्रत आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है। अतः श्रद्धा और भक्तिपूर्वक इस व्रत का पालन करना चाहिए।